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नगरपालिका शिवपुरी की परिषद में हर बार लड़ाई, हर बार चिल्ला चोंट.. आख़िर यह माजरा क्या..?

नगरपालिका शिवपुरी की परिषद में हर बार लड़ाई, हर बार चिल्ला चोंट.. आख़िर यह माजरा क्या..?

आखिरकार यह माजरा क्या है..? 
क्या वाकई में पार्षद नगरपालिका अध्यक्ष से इतने परेशान हैं कि अध्यक्ष और उनसे जुड़े कोई भी कार्य कुछ लोगों को फूटी आंख नहीं सुहाते..?

क्या वाकई में इन पार्षदों (जो अक्सर ही परिषद या अन्य मौकों पर कुछ विशेष लोगों के खिलाफ़ अपनी आवाज़ बुलंद करते हैं) के काम नहीं हो रहे हैं..?

 क्या जनता की मांगों से पार्षद इतने परेशान हो चुके हैं कि अब इनको विधायक के सामने रोना  पड़ रहा है..?
क्या वाकई में सीएमओ और नगर पालिका अध्यक्ष ने इन लोगों की सुनवाई बंद कर दी है..? 
चर्चित समाचार एजेंसी।
नगर पालिका परिषद शिवपुरी की यह लगभग छठवीं परिषद है जो विगत रोज़ 16/08/2024 शुक्रवार को नगरपालिका परिषद प्रांगण के सभागार में हुई। इस परिषद में 19 बिंदुओं पर चर्चा हुई। कुछ बिंदुओं को छोड़कर लगभग ज्यादातर बिंदु पास हुए। लेकिन वह भी हुआ जो प्रायोजित था। अध्यक्ष और उनकी टीम ने यह योजना बनाईं कि, इस बार सबको माइक दिया जायेगा जिसे जितना बोलना है बोलो ज़बाब नगपालिका के कर्मचारी और अधिकारी देंगे। पर बदतमीजी बर्दाश्त नहीं की जायेगी और ऐसा हुआ भी। वहीं कुछ पार्षद अपनी भड़ास ही निकलना चाहते थे तो सभागार के अन्दर नहीं तो बाहर सही।
होता यूं हैकि......
 39 पार्षदों (अध्यक्ष सहित) में से केवल इन सात पार्षदों  (उपाध्यक्ष सहित एक निर्दलीय पार्षद भी) जो समय-समय पर अपने क्षेत्र में विकास कार्य न हो पाने का रोना रोते हैं, इनका रोना अपनी जगह सही हो सकता है क्योंकि, यह जनता के द्वारा चुने हुए जनप्रतिनिधि हैं और चूंकि जनप्रतिनिधि हैं तो उनकी आवाज को जनहित में सुनना जिम्मेदारों (अध्यक्ष और सीएमओ) का काम भी है। लेकिन उनकी आवाज नहीं सुनी जा रही है ऐसा इनका कहना है। हमको भी बड़ा खेद हुआ जब हमने समाचार के माध्यम से पढ़ा कि वार्ड नंबर 11 की पार्षद नीलम वघेल विधायक के सामने फूट - फूट कर रोने लगीं कि मेरे वार्ड में कोई भी विकास नहीं किया जा रहा है। विकास कार्यों को रोका गया है,विकास कार्य हो ही नहीं रहा है। जब हमने थोड़ा सा जानने का प्रयास किया, तब हमें कहानी कुछ और ही समझ में आई। हमने भी जिम्मेदारों से कहा कि, आखिरकार ऐसी सिचुएशन क्यों बन रही है कि, पार्षदों को रोना पड़ता है। तब उन्होंने हमसे कहा कि, हम आपको 2 साल में किए गए विकास कार्यों की सूची देते हैं। हमने भी सूची में से केवल सात पार्षदों के क्षेत्र की सूची ही निकाली और उसे सोशल मीडिया के माध्यम से आम जनता के समक्ष पेश कर दी। इसमें हमने देखा कि, इन सभी पार्षदों के वार्डों में काम तो हुए हैं फिर चाहे वह सीसी रोड का कार्य हो,नाली निर्माण कार्य, पेबर टाइल्स का कार्य, वार्डों ने रोड़ों का पेंच वर्क हो, पुल पुलियों की बाउंड्री का कार्य हो, गलियों में रोड भराव हो, लाइटिंग का कार्य हो, फुटपाथ पर रेलिंग हो, फुटपाथ पर कुर्सीयां हो, रिपेयरिंग हों पार्कों में उन्नयन कार्य हो आदि-आदि कार्य जरूरत के हिसाब से किए गए हैं। यह बात अलग है कुछ वार्ड छोटे होने के कारण उनमें अन्य वार्डों की अपेक्षा कम कार्य स्वीकृत हुए हैं। फिर भी किसी में 2 करोड़ किसी में 1.5 करोड़ तो किसी में 1 करोड़ के लगभग का कार्य   स्वीकृत हुआ है। इसमें भी कुछ कार्यों की स्वीकृति हुई है तो कुछ कार्य धरातल पर चल रहे हैं तो कुछ पूर्ण हो चुके हैं । अब इस कंडीशन में परिषद की बैठक में चिल्ला चोंट करना, रोना, छाती पीटना तो सीधा-सीधा यह इशारा करता है कि, आपको कार्य से नहीं बल्कि (कैसे भी मीडिया फ्रंट में आया जाए) से लेना देना है।यह कार्यों की लिस्ट तो यह बताती है कि कार्य तो स्वीकृत हुए हैं। रही बात पेमेंट की तो नगरपालिका का अकाउंट ही खाली है। इस समय आपस में लड़ाई न लड़ते हुए टैक्स (भवन कर वसूली, जलकर वसूली और अन्य तरह की वसूली) जो कि नगरपालिका शिवपुरी को अपने नगरीय निकाय क्षेत्रों से बसूलना हैं पर ध्यान दें तो शायद पैसे का रोना भी न रहे। अब बात यह है कि, अगर आपकी लड़ाई आपके वार्डों में विकास कार्यों को लेकर के है (जो नहीं हो रहे हैं) तो फिर यह लिस्ट झूठी है, बेवजह है, इसका कोई आधार नहीं है। और अगर लड़ाई सिर्फ परिषद में उपस्थित कुछ लोगों से है खास करके अध्यक्ष, सीएमओ और उनकी लॉबी से, तो फिर विकास कार्यों का रोना क्यों..?
 क्या विकास कार्य की आढ लेकर के जनता के सामने आप कुछ और नजीर तो नहीं पेश कर रहे हैं..?
 जनप्रतिनिधियों को यह ज़रूर सोचना चाहिए। क्योंकि जनता तो आपको चुनकर भेजती है उनके कार्य करने के लिए, नाकि आपके खुद के कार्य साधने के लिए।
अगर ऐसा हो रहा है वह चाहे किसी भी पक्ष से हो तो गलत है। 
विषय चिंता और चिंतन दोनों का।
लेखक:- वीरेन्द्र "चर्चित"
Mob.9977887813

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