क्या नगर पालिका शिवपुरी की उठापटक की राजनीति के गवाह बनेंगे ख़ुद हनुमान.??
क्या नगर पालिका शिवपुरी की उठापटक की राजनीति के गवाह बनेंगे ख़ुद हनुमान.??
।।चर्चित समाचार एजेंसी।।
।।शिवपुरी 12/06/25।। हाल ही में कुछ फोटोस सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं,जिसमें शिवपुरी नगर पालिका के जिम्मेदार पार्षद एकजुट होकर करैरा नगर में स्थित बगीचा हनुमान जी के दरबार में सामूहिक रूप से कसम लेते नजर आ रहे हैं। और यही फोटो सोशल मीडिया पर खुद के ही सोशल अकाउंट से वायरल करते हुए भी कह रहे हैं कि या तो नगर पालिका शिवपुरी की अध्यक्ष गायत्री शर्मा हटेगी या हम देंगे इस्तीफा। जब यह मामला आम लोगों के बीच होते हुए राजनीतिक गलियारों में पहुंचा तो आनन-फानन में भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने सलाह मशवरा कर गुरुवार को प्रातः 10:00 बजे के बाद एक मीटिंग आहूत करने का निर्णय लिया। जिसमें सभी भाजपा के पार्षदों को सुनकर आगे की रणनीति बनाई जाएगी। इस मीटिंग की अगुवाई भाजपा के जिला अध्यक्ष जसवंत जाटव करेंगे और भाजपा से नगर पालिका शिवपुरी के लिए चुने गए 22 पार्षदों की समस्याओं का समाधान भी करेंगे।
मेरे द्वारा विकास कार्यों की कोई कसर नहीं छोड़ी गई है..
वही नगर पालिका अध्यक्ष गायत्री शर्मा का यह कहना है कि मेरे द्वारा किसी भी वार्ड में विकास कार्य को लेकर कोई कसर नहीं छोड़ी गई है भाजपा तो क्या मैंने तो कांग्रेसी पार्षदों के वार्ड में भी काम कराया है। "पर क्या है ना" कि, जिनके लिए सिर्फ मेरा अध्यक्ष होना ही खटकता है उनको अपनी गर्दन उतार के भी दे दी जाए तो भी वह संतुष्ट नहीं हो सकते हैं।रही बात कांग्रेस की तो हर पार्टी का नियम है कि विपक्ष की पार्टी,सत्ता में जो भी पार्टी रूलिंग करती है उसके द्वारा किए गए विकास कार्य में कमी दिखाते हुए जनता को भ्रमित करना होता है,जो वह लोग कर रहे हैं। यह पहली बार नहीं हुआ पहले भी कांग्रेस पार्षदों द्वारा इस तरह का हथकंडा अपनाया गया है जो हमारी भाजपा की कार्यशैली और मेरी भाजपा पार्टी की प्रति आस्था को देखते हुए नाकामयाब किए जा चुके हैं..
कांग्रेस की कई पार्षद पहले भी कथित वीडियो में नगर पालिका के कर्मचारी के साथ corrupt dealing जैसे मामलों में सामने आ चुके हैं। जिसमें नगर पालिका के पूर्व अधिकारी और वर्तमान कर्मचारी पूर्ण रूप से जिम्मेदार रहे हैं। हालांकि नगर पालिका शिवपुरी मेरा परिवार है। मैं सभी से वन टू वन बात भी करती हूं। इसके बावजूद भी अगर कोई कसर रह गई है तो हमारी भाजपा पार्टी की आला कमान उनसे बात करके उनकी समस्या का निदान जरूर करेंगे ऐसी मुझे उम्मीद है..।।
पहले टेकरी सरकार फिर बगीचा सरकार आखिर पार्षद चाहते क्या है..??
सूत्र बताते हैं कि बुधवार की दोपहर पार्षदों की जो फोटो बगीचा सरकार करैरा से नजर आईं है उसमें लगभग 17 से 18 पार्षद होना बताया गया है। जिसमें से 12 भाजपा 5 कांग्रेस तथा 1 निर्दलीय होना माना गया है जबकि फोटो में 15 पार्षद(पार्षद/पति/बेटा) ही नजर आ रहे हैं। बाकी के कहां है..? यह शोध का विषय है!! क्योंकि कुछ पार्षद इस कार्यकाल की शुरुआत से ही अपनी अतृप्त इच्छाओं की पूर्ति हेतु बागी जैसे नजर आते रहे हैं पर खेल पर्दे के पीछे से ही खेलते नजर आए हैं।आज भी इस फोटो में ना आना उनकी इसी मंशा का घोतक माना जा रहा है। आज से कुछ दिन पहले इन 18 पार्षदों के समूह में से कुछ पार्षद अध्यक्ष के समूह के साथ पिछोर स्थित टेकरी सरकार मंदिर पर भी बुरे समय में भी साथ निभाने का वचन देते हुए टेकरी सरकार की कसम खा चुके हैं । वही करैरा के बगीचा सरकार में भी कसम खाते नजर आए हैं । अब आने वाले समय में खुद हनुमान जी ही इनकी कसमों का निर्णय ले सकते हैं। नाम न छापने की शर्त पर एक पार्षद ने तो यह तक कह दिया कि आपने टेढ़ी टांग वाले बाबा की कसम खाई है और बाबा तो बाबा है वह चाहे टेकरी सरकार हो या बगीचा सरकार झूठ बोला तो गर्दन टेढ़ी होना तय है।
कांग्रेस के मन में भाजपा को नीचा दिखाने की लालसा तो जयचंदों के मन में कुर्सी की लालसा..
यहां यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि नगर पालिका शिवपुरी के 39 वार्डों में 22 पार्षद भाजपा के 10 कांग्रेस के तथा 7 निर्दलीय पार्षद हैं। और अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए तीन चौथाई पार्षदों का एक मत होना आवश्यक है, जिसमें पार्टी की ही 22 पार्षद हैं। इनका टूटना यानि पार्टी की छवि प्रदेश स्तर पर खराब होना इस डैमेज को रोकने के लिए पार्टी भी भरसक प्रयास करेगी। पर अगर भाजपा के असंतुष्ट पार्षद सहित कांग्रेस पार्षद वर्तमान अध्यक्ष को पद से हटाने में कामयाब भी हुए, तब भी ऑप्शन भाजपा का ही महिला पार्षद बचता है। जिसमें सिंधिया और तोमर खेमे में गुटबाजी के चलते पार्टी इस ऑप्शन को दरकिनार कर सकती है या फिर पार्टी बहुत ही गंभीर अवस्था में निर्णय ले सकती है। पर इन सब में प्रदेश स्तर पर कांग्रेस अपनी विजय का पताखा फहराते हुए भाजपा के अध्यक्ष को पद से हटाने का बीड़ा अपने सर ले लेगी। जो भाजपा की किरकिरी में चार चांद लगा सकता है। वहीं असंतुष्ट पार्षदों में कुछ ऐसे भी हैं जो इस कार्यकाल की शुरुआत से ही उठापटक के दाव खेलते नजर आए हैं। यह बात अलग है कि वह कुर्सी की इस चाह में हर बार हार का मुंह देखते रहे हैं। इस बार क्या होगा..? यह निर्णय खुद टेढ़ी टांग वाले बाबा ही करेंगे फिलहाल तो यही कहा जा सकता है कि निर्णय सिर्फ सरकार को ही लेना है चाहे वह भाजपा की हो या फिर बगीचा वालों की....
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