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आखिर क्यों नहीं अब गुंडों और माफियाओं को प्रशासन का डर..?? शहर के एक व्यवसाई का दबंग ने फोड़ा सर..

आखिर क्यों नहीं अब गुंडों और माफियाओं को प्रशासन का डर..?? शहर के एक व्यवसाई का दबंग ने फोड़ा सर..

यहां इन जैसों के हौंसले बढ़ाता कौन है..??
अपने फ़ायदे के लिए इनको लड़ाता कौन है.?? 
जब चलाते हो इशारों पे सरकार की मशीनरी..!!
तो फिर आप ही बता दो कि....
इन माफिया को पनपाता कौन है..??

।।चर्चित समाचार एजेंसी।।
।।शिवपुरी 13/06/25।।
कल 12 जून की रात लगभग 8 बजे करुण मोटर्स के संचालक करुण अग्रवाल पर जानलेवा हमला हुआ। हमले के इस मामले को घायल के परिजनों द्वारा पैसों के लेनदेन का मामला बताया गया, जिसको लेकर घायल फरियादी ने अस्पताल मे जख्मी हालत मे अपना स्टेटमैंट भी दे दिया.. ये बात अलग है बाद मे वह बेहोश हो गया शायद चोट ज्यादा गहरी थी या मामले से जुड़ी बात ज्यादा गहरी थी..!! पर यह मामला वनस्थली होटल के ठीक सामने का बताया जा रहा है, जहां पर करुण अग्रवाल ने अपनी पुरानी उधारी,संभवतः संस्थान की उधारी मांगनी चाही, जिसमें गौरव पचौरी को काफ़ी बुरा लगा और उसने ईंट और खंडों से करुण के सर पर बार कर करुण को अचेत कर दिया। इसके बाद परिजनों द्वारा करुण अग्रवाल को जिला अस्पताल ले जाया गया जहां पर जैसा कि पूर्व में विदित है कि एक्स रे सुविधा रात्रिकालीन नहीं है (दिन में एक्स रे की बात इसलिए नहीं करेगें क्योंकि हम इस समय अस्पताल की दैनिक व्यवस्थाओं से वाकिफ नहीं हैं) तो सेठ ब्रदर्स रात को तक़रीबन 9:15 के लगभग घायल को कल्पना एक्स रे पर ले गए जहां उनका एक्स रे कराया गया। पर सवाल आज भी फिर से वही है कि 500 बिस्तरीय अस्पताल होने के बाद भी एक्स रे के लिए प्रायवेट ही भागना पड़ता है। *खैर मुद्दा यह है कि जब उधार पैसे लिए थे तो बदले में पचौरी ने ईंट क्यों दी..? यह तो पुलिस की जांच के बाद ही पता चल सकेगा।
लेकिन एक बात अभी तक समझ नहीं आई कि जब मामला पुरानी उधारी का और व्याक्ति पहचान का था तो फिर पहचान का व्याक्ति लूट कैसे कर सकता है.? क्या वह नकाब से चेहरा ढका था..? अगर हां तो आपने पहचाना कैसे..? 
जहां तक मुझे समझ आ रहा है पहचान वाला चोरी तो कर सकता है पर लूट नहीं..!! तो लूट का मामला तो हलक से नहीं उतर रहा है.। हां एक प्रत्यक्षदर्शी का यह भी कहना है कि अगर पैसे की उधारी के लिए तुम किसी की मां बहन करोगे वो भी बीच चौराहे पर तो हाथ में पैसे की जगह ईंट भी हो सकती है। खैर सूत्र कुछ और भी इशारा कर रहे हैं।

 *क्या मामला कहीं जमीन से जुड़ा तो नहीं..??* 
जी हां हमारे सूत्र यह भी बताते हैं कि गौरव पचौरी जमीनों का ब्रोकर है और इसकी गुरुद्वारे के पास एक होटल मालिक सेठ जी के प्यारे पुत्र से काफ़ी अच्छी यारी है। और उस सेठ का जमीनों का बड़ा कारोबार भी है। यह सेठ जी सिंधिया के बहुत करीबी भी बताए जाते हैं। आजकल सेठ जी का जमीनों का कारोबार ख़ुद उनका पुत्र भी हैंडल कर रहा है जो गौरव पचौरी को विवादित जमीनों के मामले में लड़ाई- भिड़ाई के लिए टूल की तरह इस्तेमाल भी करता है। और समय समय पर संरक्षण प्रदान भी करता है। माना जा रहा है कि लड़ाई की एक वजह ज़मीनों की खरीद फरोख्त भी हो सकती है।
अगर मामला ज़मीनों से जुड़ा हुआ है। तो निश्चित ही भूमाफियाओं का यह लड़ाकू तरीका व्यापारिक दृष्टिकोण से संयमता, शांति और गुंजाइश का "प्रतीक" तो बिल्कुल नहीं है।

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