घोटाले का केंद्र शिवपुरी मेडिकल कॉलेज फ़िर आया चर्चाओं में.. अब एक प्रायवेट कर्मचारी ने प्रोफेसर पर लगाया धोखाधड़ी का आरोप..
शिवपुरी मेडिकल कॉलेज फिर आया चर्चाओं में..
एसोसिएट प्रोफेसर ने आउटसोर्स कर्मचारी से लिए 6 लाख,कहा ऑफलाइन भर्ती में कर दूंगा नियुक्ति..
।। चर्चित समाचार एजेंसी।।
।। शिवपुरी 09/11/2025।। शिवपुरी मेडिकल कॉलेज अपनी विवादित कारगुजारियों से चर्चाओं में बना रहता है कभी यहां मरीज के साथ स्टाफ का व्यवहार अच्छा नहीं पाया जाता है, तो कभी कुछ अधिकारियों द्वारा निचले स्टाफ (नर्सिंग, विभागीय एवं आउटसोर्स) का शोषण करने की नज़ीरें सामने आती हैं।
हाल ही में मेडिकल कॉलेज में आउटसोर्स कंपनी हाइट में काम कर रहे एक कर्मचारी को मेडिकल कॉलेज के एक एसोसिएट प्रोफेसर ने यह कहकर ठग लिया कि ऑफलाइन भर्ती के तहत मैं तुमको शिवपुरी मेडिकल कॉलेज में परमानेंट जॉब दिला दूंगा। इस आश्वासन के साथ ही एसोसिएट प्रोफेसर ने आउटसोर्स कर्मचारी से ₹6 लाख रुपए भी ले लिए एवं लंबे समय तक युवक को टरकाता रहा। जब काम नहीं हुआ तो आउटसोर्स कर्मचारी ने अपने पैसे वापस मांगे जिस पर एसोसिएट प्रोफेसर ने पहले तो आनाकानी की, बाद में उस प्रायवेट कर्मचारी का विभाग ही बदलवा दिया। ऐसा वहां काम करने वाले आउटसोर्स कर्मचारी जो ठगा गया है ने कहा।
कैसे किया लालची डॉक्टर ने अपने ही मुरीद का शिकार....
दरअसल शिवपुरी मेडिकल कॉलेज के पूर्व डीन का कार्यकाल काफी सुर्खियों में रहा था उनके कार्यकाल में बड़े लंबे घोटाले पाए गए थे जो जग जाहिर रहे,जिसमें नर्सिंग छात्रों के एडमिशन से लेकर पास कराने का घोटाला, उपकरण खरीदने संबंधित घोटाला, मेडिकल कॉलेज में ऑफलाइन भर्ती घोटाला, एसोसिएट प्रोफेसर भर्ती में लेनदेन घोटाला,HOD बनाने के नाम पर घोटाला,आउटसोर्स के माध्यम से वांछित पदों पर नियम विरुद्ध नियुक्ति को लेकर घोटाला, मैस घोटाला, गाड़ियों में डीजल चोरी घोटाला आदि-आदि के मास्टरमाइंड डीन पर यह आरोप जग जाहिर रहे थे। उस समय कुछ एसोसिएट प्रोफेसर भी इनके गैंग के प्रीमियर सदस्य रहे जिन पर पूर्व डीन की हद ज़्यादा अनुकंपा रही अगर हम फुल सपोर्ट कहें तो यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा।
तभी वहां के एक एसोसिएट प्रोफेसर जो गोल्ड की घड़ी पहनने के शौकीन हैं उन डॉक्टर साहब ने कुछ लड़कों के साथ मेडिकल कॉलेज में स्थाई कर्मचारी बनाने के नाम पर ठगी कर ली। हालांकि उसमें से कुछ लोग मुखर हुए भी पर उन्हें आश्वासन देकर मामला दवा दिया गया। हाल ही में एक आउटसोर्स कर्मचारी जिसे रुपयों की सख्त आवश्यकता पड़ी तो उसने अपने रुपए वापस मांगने चाहे जो कि इस एसोसिएट प्रोफेसर को इतना नागवार गुजरा कि आउट सोर्स कर्मचारी का विभाग ही बदलवा दिया, तब जाकर यह कहानी सामने आई कि पूर्व डीन के चहेते प्रोफेसर ने अपने विभाग में काम करने वाले एक प्रायवेट कर्मचारी को इतना खास बनाया कि वह डॉक्टर और कर्मचारी एक दूसरे के साथ न सिर्फ उठने बैठने लगे बल्कि भोजन की थाली भी शेयर करने लगे, बातों ही बातों में कर्मचारी ने यहां तक कहा कि इस डॉक्टर के साथ मैं कई बार सैर-सपाटे पर भी गया, बिल्कुल छोटे भाई की तरह इस व्यक्ति ने मुझे ट्रीट किया लेकिन जैसे ही मैंने मेडिकल नियुक्ति के नाम पर ₹600000 रुपए दिए उसके बाद इसका व्यवहार बदलता गया और अंत में जब ज्यादा जरूरत होने पर मैंने सख्ती दिखाई तो उसने मेरा विभाग ही बदलवा दिया।
अब सवाल यह उठता है कि, इन महाशय ने इतनी आसानी से पीड़ित युवक का विभाग कैसे बदलवा दिया..??
तो हमारे सोर्स बताते हैं कि यह प्रोफेसर साहब "हंस" को कैसे दाना चुगाना इसमें "परम" सिद्धहस्त हैं
इसलिए हंस कहीं से भी चुग़ने आए यह महोदय उसे भी अपना परम (मित्र, मुरीद, स्नेही, शुभचिंतक) आदि-आदि बना लेते हैं और किनारे बैठकर सारे खेल का मज़ा लेते हैं।
अब सवाल यह है कि यह ऐसा कौन सा मोती हंस को चुगा देते हैं वह भी इनका परम भक्त बन जाता है..??
*अब क्या होगा अगर नहीं मिला पैसा..??
हमारे द्वारा पूछने पर कि अगर उस एसोसिएट प्रोफेसर ने आपके पैसे वापस नहीं किए तो आपका अगला कदम क्या होगा..?? जिस पर युवक का साफ कहना था कि "मैं तो डूबूंगा ही पर सनम को भी ले डूबूंगा" यानि कि मैं तो बर्बाद हो ही जाऊंगा लेकिन इसको नहीं छोडूंगा, पहले सामूहिक पिटाई करूंगा उसके बाद अगर मेरा पैसा वापस नहीं किया तो मैं उस हद तक जा सकता हूं जिसकी यह कल्पना भी नहीं कर सकता है। क्योंकि.. इसने न सिर्फ मेरे भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं किया है बल्कि मुझे अपना बनाकर मेरी भावनाओं के साथ भी खेला है। तो जवाब ऐसी भावनाओं से पैदा हुए तेजाबी उन्माद से ही दिया जाएगा।
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