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कलेक्टर ने कराई नगरपालिका की जांच, जिनको दोषी माना उनके विकेट चटके.. नगरीय आवास एवम विकास विभाग के आयुक्त के अनुसार तीन साल में हुआ बड़ा भ्रष्टाचार..

कलेक्टर ने कराई नगरपालिका की जांच, जिनको दोषी माना उनके विकेट चटके.. नगरीय आवास एवम विकास विभाग के आयुक्त के अनुसार तीन साल में हुआ बड़ा भ्रष्टाचार..


 सीएमओ इशांक धाकड़ एवं पूर्व सीएमओ केशव सगर व शैलेष अवस्थी तीनों नपे..
।।चर्चित समाचार एजेंसी।।
।।शिवपुरी30/08/25।।
क्या हुआ:- नगर पालिका शिवपुरी में पदस्थ वर्तमान सीएमओ  सहित तीन सीएमओ हुए सस्पेंड नगरीय प्रशासन आवास एवं विकास के आयुक्त ने अध्यक्ष को भी घोटाले का दोषी माना।
कितना हुआ घोटाला;- जांच रिपोर्ट की माने तो  पिछले 3 साल में गायत्री शर्मा के कार्यकाल में अब तक तीन सीएमओ 
बदल गए और इन्होंने बारी-बारी करके लगभग 57. 80 करोड़ के 743 कार्य संपादित कराए जो कुछ तो शुरू ही नहीं हुए कुछ अपूर्ण हैं एवं कुछ धरातल पर हैं ही नहीं।
किस-किस को माना दोषी:- नगरीय प्रशासन आवास एवं विकास विभाग के आयुक्त की माने तो उन्होंने मुख्य रूप से वर्तमान सहित पूर्व सीएमओ, ऑडिट विभाग एवं अध्यक्ष को दोषी माना है, वहीं कार्य में लपरवाही को लेकर पूरी नगर पलिका के 80 परसेंट कर्मचारियों को दोषी माना है।
क्यों हुआ यह मामला उजागर:- 80 दिन चली बगीचा सरकार की कसम खाने वाले पार्षदों की लड़ाई में कई सारे मोड़ आए इन मोड़ों में एक मामला उनके द्वारा शिकायत दर्ज करने पर जांच का था। कायदे से यह लड़ाई नगर पालिका की अध्यक्ष गायत्री शर्मा के खिलाफ असंतुष्ट पार्षदों की थी। पर इस जंगल की आग ने पूरे गांव को ही स्वाहा कर दिया। इस आग में न सिर्फ अध्यक्ष लपेटे में आई बल्कि तीन सीएमओ सहित कई लोग जांच की जद में आ गए, पैसे की इस लड़ाई में धन का ऊंट जिस करवट बैठा है उस करवट इतना बड़ा गड्ढा हो गया है कि शायद ही अध्यक्ष और सीएमओ सहित अन्य कर्मचारी इस गढ्ढे से कभी बाहर आ पाएं।
जांच रिपोर्ट के आधार पर माना दोषी,क्या था जानें बिंदु बार..
नगरीय प्रशासन आवास एवं विकास विभाग भोपाल के आयुक्त संकेत भोंडवे के द्वारा जारी की गई रिपोर्ट के आधार पर..
1. सन 2022 से आज तक 57.80 करोड़ के 743 कार्य या तो अपूर्ण हैं या शुरू ही नहीं हुए या मौके पर मौजूद ही  नहीं।
2. पूर्ण हुए कार्य के ठेकेदार द्वारा नगर पालिका में  बिल पेश किए जाने के आठ से 4 से 8 माह बाद भी पेमेंट नहीं हुए वहीं कुछ ठेकेदारों के भुगतान मात्र 1 से 2 माह में ही  कर दिए गए निर्माण कार्यों में कहीं 3 माह में भुगतान  तो कहीं 3 साल में भी नहीं हुए इसे आर्थिक अनियमितता का मामला माना।
3. 11.47 करोड़ के पूर्ण हुए कार्यों के भुगतान में 5.09 करोड़ का भुगतान दो ही फर्म को किए गए। जो विवाद         का मुख्य कारण रहा।
4. कार्यालय में प्रशासनिक प्रबंधन प्रबंधक के हस्तक्षेप के बाहर पाया गया। कार्यालयीन समय पर कर्मचारी का नहीं आना एवं कार्यालय में नहीं पाया जाना की मुख्य वजह सीएमओ की लापरवाही पूर्ण कार्यशाली माना गया।
5. कार्यालय में फाइलों की मूवमेंट की स्थिति संदेहस्पद मानी गई किस अधिकारी या कर्मचारी पर कौन सी फाइल है इसकी कोई जवाबदेही स्पष्ट नहीं हो सकी।
6. PIC की बैठक में बजट की व्यवस्था एवं वर्तमान वित्तीय स्थिति को ध्यान ना रखते हुए करोड़ों के प्रस्ताव पारित किए जिसे विधि विरुद्ध माना।
7. कैश बुक के माध्यम से पाया कि एक लाख रुपए से कम की फाइलें किसी एक ही फॉर्म को एक ही काम के लिए बार-बार देना औचित्य हीन माना।
8. नामांतरण एवं भवन निर्माण स्वीकृति में समय सीमा सेअधिक समयावधि को भारी दोष माना।
9. कैश बुक पर सीएमओ के हस्ताक्षर नहीं पाए जाना एवं कैशबुक नियम विपरीप चलना दोषी होने की वजह माना।
10.परिषद एवं पी आई सी के लिए इस्तेमाल होने वाला प्रोसिडिंग रजिस्टर का कार्यालय में नहीं पाया जाना पूछने पर अध्यक्ष के घर प्रेषित होना बताया जाना भी सीएमओ  की लापरवाही का कारण माना।
11.45 से अधिक निर्माण कार्यों की जानकारी सीएमओ द्वारा मौखिक दी जाना तथा फाइलें उपलब्ध न कराया जाना भी  लापरवाही का बिंदु माना।
आगे क्या होगा....
इस बारे में स्पष्ट कुछ नहीं कहा जा सकता कि आगे यह मामला क्या रंग लाएगा पर सूत्रों की माने तो कलेक्टर शिवपुरी रविंद्र कुमार चौधरी द्वारा यह जांच एक माह पूर्व ही कंप्लीट कर ली थी तथा नगरीय प्रशासन आवास एवं विकास विभाग की ओर अग्रेषित करके गेंद उनके पाले में डाल दी थी।
राजनीतिक हस्तक्षेप के चलते यह मामला ठंडे बस्ते में जाने वाला था परंतु पार्षदों के हठ योग के चलते जैसे ही इस्तीफ़े की बाढ़ आई तो प्रशासन एवं शासन दोनों ने मिलकर इस जिन्न को बाहर निकाल दिया और इसके पीछे जो कयास लगाए जा रहे हैं वह यह है कि इस जांच के बाद यह मामला सिर्फ तीन सीएमओ को सस्पेंड करने का ही नहीं बल्कि नगरपालिका अध्यक्ष को दोषी साबित करके पदाच्चुत करने का भी है। सूत्र इस ओर इशारा भी कर रहे हैं, वही अध्यक्ष ने भी 2 माह से शहर में फैली अव्यवस्था को संभालने, साफ जल, वार्डों में सफ़ाई एवं प्रकाश की व्यवस्था को 10 दिवस के अंदर ठीक कर वापस सुचारु रूप से चलाने का दृढ़ संकल्प ले लिया है।
पर क्या वाकई में अब उनके पास इतना समय है..??
क्या सिंधिया और संगठन उनको इतना समय देगा..??
पूछता है शिवपुरी..।।

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