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क्या वो समय अब निकट जब चिंतन पर चिंता की दरकार.. पढ़िए विशेष लेख....(जीवन का लेखा-जोखा )

क्या वो समय अब निकट जब चिंतन पर चिंता की दरकार.. पढ़िए विशेष लेख....(जीवन का लेखा-जोखा )

 जीवन_का_लेखा- जोखा  ( एक गहन... चिंतन...)
।।चर्चित समाचार एजेंसी।।
⚖️ हमारा जीवन भी किसी व्यवसाय की बैलेंस शीट की तरह है,जहाँ हर दिन हम जमा (क्रेडिट) और खर्च (डेबिट) करते हैं। लेकिन यहाँ जमा का मतलब केवल पैसों से नहीं, बल्कि अच्छे विचार, नेक कर्म, सच्चे रिश्ते, अनुभव और सीख से है। खर्च का मतलब भी केवल धन नहीं, बल्कि समय, ऊर्जा, धैर्य, और अवसर है।

🪔हर सुबह हमें एक नया पन्ना मिलता है जिसमें हम अपनी सोच, व्यवहार और कर्म से अंक भरते हैं। कुछ लोग अपनी बैलेंस शीट में केवल भौतिक संपत्ति का हिसाब रखते हैं, लेकिन असली लाभ तो तब है जब आत्मा को संतोष मिले, दूसरों को खुशी पहुँचे और हमारे जाने के बाद भी हमारे कर्मों की सुगंध बनी रहे..।

जीवन की इस बेलेंस शीट में घाटा(नुकसान) तब होता है जब हम अपने रिश्तों को खो देते हैं, समय को व्यर्थ कर देते हैं या नकारात्मकता से खुद को घेर लेते हैं। जबकि सबसे बड़ा लाभ तब है जब हम अपने आस-पास प्रेम,आनंद, सहयोग और प्रेरणा का माहौल बना पाते हैं..।

"अल्पविराम"(जीवन मे एक पल का ठहराव)  हमें यही सिखाता है कि रोज़ अपने जीवन के इस लेखा-जोखा को देखें, घाटे को कम करें, लाभ को बढ़ाएँ और अंत में एक ऐसी बैलेंस शीट तैयार करें जो संतोष, शांति और आनंद से भरी हो। यही जीवन का सच्चा मुनाफा है।
👉सुनो न,जीवन के बहीखाते में अमिट स्याही से प्रतिदिन लिखे जाने वाले इन अध्यायों पर अवश्य मंथन कीजिये..।इस आपा-धापी,भाग-दौड़ के बीच कुछ पल को रुकिए,शून्य में जाकर शांति से सोचिये,क्या खोया ओर क्या पाया पर मंथन कीजिये,दोषारोपण से तौबा,भूल सुधार से हिचकिचाहट त्यागिये ओर देखिये,"जीवन कितना खूबसूरत नजर आयेगा..!"

लेखक:- साहित्यकार एवं वरिष्ठ पत्रकार 
(✍️बृजेश सिंह तोमर)

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