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बैंड बाजे के साथ निकली विद्रोही पार्षदों की रैली कलेक्ट्रेट में जाकर दिया इस्तीफा।*

बैंड बाजे के साथ निकली विद्रोही पार्षदों की रैली कलेक्ट्रेट में जाकर दिया इस्तीफा।*

*बैंड बाजे के साथ निकली विद्रोही पार्षदों की रैली कलेक्ट्रेट में जाकर दिया इस्तीफा।* 

।।चर्चित समाचार एजेंसी।।
।।शिवपुरी 28/08/25।। शिवपुरी शहर में पिछले दो माह से  बगीचा सरकार की कसम खाने वाले पार्षदों की उठापटक पर आज पूर्णता विराम लग गया, दरअसल मंगलवार की शाम से ही सोशल मीडिया पर शिवपुरी नगर पालिका के 18 पार्षद अपने-अपने सोशल अकाउंट से खुद को बराबर ट्रोल कर रहे थे और यह नजीर जनता के सामने पेश कर रहे थे कि हम गलत नहीं हमने बाबा की कसम खाई जिसे हर हाल में पूरा करेंगे और गुरुवार को हम लोग अपना इस्तीफा शिवपुरी कलेक्टर को दे देंगे। इस बात पर शहर की जनता को यकीन था भी और नहीं भी क्योंकि, पिछले दो माह से चल रही नगर पालिका अध्यक्ष को गिराने की उठापटक में बगीचा सरकार पर कसम खाकर आए पार्षदों के संगठन की कार्रवाई ने कई तरह के मोड़ लिए, जिसमें एक उदाहरण में तो पार्षदों ने अविश्वास प्रस्ताव पेश करने के बाद वापस लेने का मन बना लिया। जिस वज़ह से विद्रोही पार्षदों की छवि आम जनता में काफ़ी धूमिल हुई, जनता ने पार्षदों को जहां निकम्मा और नकारा कहा, वहीं सोशल मीडिया पर उनकी काफी फ़जीहत भी हुई, इसके बाद सबसे पहले चार पार्षदों ने इस्तीफ़े देने की पोस्ट अपने सोशल अकाउंट से डाल दी।
मीडिया में इस्तीफ़े की यह पोस्ट काफ़ी वायरल हुईं, फिर एक के बाद एक पोस्ट अलग अलग पार्षदों की आती गईं। और फिर गुरुवार को दोपहर 3:00 पार्षदों की टोली माधव चौक चौराहे हनुमान मंदिर से होती हुई कलेक्ट्रेट पहुंची। 18 पार्षदों की यह टोली फूलों की माला पहनकर बैंड बाजे के साथ पूरे शहर का भ्रमण करती हुई  कलेक्ट्रेट जा पहुंची।

 *नगर पालिका के द्वार को माथा टेक ली विदाई।* 
विद्रोही 18 पार्षद जब अपना इस्तीफा देने कलेक्टर कार्यालय की ओर बढ़ रहे थे तब रास्ते में पड़ने वाले नगर पालिका का मुख्य द्वार पर उनका हृदय पसीज गया और इस्तीफे से पहले आखिरी सलामी  मुख्य द्वार पर नतमस्तक होकर दी जिसमें महिला और पुरुष दोनों ही पार्षद शामिल थे तत्पश्चात नगर पालिका के कई कर्मचारीयों का हाथ हिलाकर अभिवादन करते हुए आखिरी नमस्कार किया उसके बाद कलेक्ट्रेट में जाकर ए डी एम को ज्ञापन सौंपा।

 *कलेक्टर रहे नदारत तो आए ए डी एम पार्षदों ने कहा हम चपरासी को देंगे इस्तीफा पर एडीएम को नहीं ।* 
माहौल तब बहुत ही मनोरंजन हो गया जब बगीचा सरकार की शपथ खाने वाले पार्षद कलेक्टर को इस्तीफा देने पर अड़ गए चूंकि उस समय कलेक्टर मौजूद नहीं थे तथा किसी अन्य काम से जिले की किसी तहसील में गए थे तो उन्होंने फोन पर ए डीएम को इस्तीफा देने की बात कह दी जिस पर सभी पार्षद एक मुंह होकर बोले कि हम इस्तीफा देंगे तो कलेक्टर को नहीं तो चपरासी को दे देंगे पर अपर कलेक्टर को नहीं देंगे बाद में कुछ आपसी लोगों की समझाइश के बाद सभी पार्षद मान गए और अपना इस्तीफा दे दिया। 
 *जनता के बीच में बना कौतूहल का विषय..* 
आम जनता के बीच में भाजपा के 11 पार्षद कांग्रेस के 4 पार्षद और निर्दलीय के 3 पार्षदों की टोली ने जो इस्तीफे दिए हैं उन पर तरह-तरह की बातें सोशल मीडिया पर आना चालू हो गई हैं। कुछ लोगों का कहना है कि भाजपा पार्टी इनके इस्तीफे मंजूर ही नहीं करेगी क्योंकि यह मैंडेट से चुनाव लड़े हैं वहीं कांग्रेस के लिए भी यही बातें कही जा रही हैं,हां निर्दलीय को लेकर यह कहा जा रहा है कि इनका इस्तीफा स्वीकारना कलेक्टर के विवेक पर निर्भर करता है निर्दलीय पार्षदों के इस्तीफ़े लिए भी जा सकते हैं और नहीं भी।

 *मीडिया का इतना खौफ कि पार्षद ही पार्षद पर भड़का बोला जूते पहनकर क्यों किया चालीसा पाठ मीडिया को पता लगा तो सुबह लेगी क्लास..* 
यहां यह बताना लाजिमी होगा कि पार्षदों के अंदर मीडिया का इतना खौफ था कि वह अपनी कोई भी बात मीडिया के समक्ष खुलकर नहीं बोल पा रहे थे हर बात में यह ध्यान रख रहे थे कि कहीं कोई गलती ना हो जाए जो सुबह के अखबारों, चैनलों और सोशल मीडिया पर सुर्खी का विषय बन जाए। दरअसल अविश्वास प्रस्ताव को वापस लेने का निर्णय इनके लिए काफी घातक रहा जिसको सोशल मीडिया ने काफी ट्रोल किया और नतीजा यह हुआ कि 24 घंटे के अंदर 18 के 18 पार्षदों ने अपने इस्तीफ़े देने की घोषणा कर दी और बाद में इस्तीफा देने कलेक्ट्रेट पहुंच भी गए परन्तु  वहां कलेक्टर उपस्थित नहीं थे जिस पर पार्षदों ने कलेक्ट्रेट गेट के बाहर प्रांगण में बैठकर हनुमान चालीसा का पाठ पढ़ना चालू कर दिया यह तो ठीक था पर इसमें गड़बड़ यह हुई कि हनुमान चालीसा का पाठ जूते और चप्पल पहन के नहीं पड़ा जाता इस बात को खुद एक वरिष्ठ नेता पार्षद दूसरे व्यापारी पार्षद को गुस्से से समझा रहा था कि तुमने यह गलत किया जो कल की हैडलाइन बन सकती है
लेखक:-वीरेंद्र "चर्चित"

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