आखिरकार बागी पार्षदों के इस्तीफ़े नामंजूर..कलेक्टर ने कहा इस्तीफ़े नियम से नहीं दिए..!!
आखिरकार बागी पार्षदों के इस्तीफ़े नामंजूर..कलेक्टर ने कहा इस्तीफ़े नियम से नहीं दिए..!!
वहीं लोगों ने कहा कलेक्टर भी आए दबाब में.. आख़िर उसी दिन क्यों नहीं बताए नियम..??
।।चर्चित समाचार एजेंसी।।
।।शिवपुरी 03/09/25।। 80 दिन चली बागी पार्षदों की लड़ाई आखिरकार अंतिम मोड पर आते-आते फिर यू टर्न ले गई, इससे पहले भी पार्षदों ने अपनी इस लड़ाई में कई सारे स्टंट किए जिसमें स्थानीय प्रशासन पर दबाव के साथ ही भाजपा के जिला अध्यक्ष सहित प्रभारी मंत्री, सांसद सिंधिया से लेकर प्रदेश संगठन मंत्री और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष तक अपनी लड़ाई पुरजोर लड़ी पर जब इस्तीफा देने से पहले अविश्वास प्रस्ताव लाने की कवायद चालू हुई तो बागी पार्षद खुद ही के कुचक्र में फंसते नजर आए किसी वांछित मंतव्य के चलते अपनी अविश्वास प्रस्ताव की राजनीति को बैक फुट पर ले आए और अविश्वास प्रस्ताव वापस लेने का मन बना बैठे। उसके बाद दूसरे दिन फिर उनकी लड़ाई में एक नया मोड़ लिया और अविश्वास प्रस्ताव को वापस न लेने के लिए कलेक्ट्रेट में हाजिरी देने पहुंच गए। पर लालच की राजनीति में आपस में ही यह एक दूसरे से उलझते नजर आए। सूत्र कहते हैं कि इसमें नेता बनने की इच्छा और नेता को नेतागिरी न करने देनी की चाहत में द्वंद हो गया और अंतोगत्वा यह लोग आपस में ही मन मुटाव कर बैठे तथा संख्या बल की कमी के चलते अविश्वास प्रस्ताव स्वीकार नहीं हो सका।
*उसके बाद चला इस्तीफे का दौर तो बैंड बाजे और देशभक्ति गीत के साथ निकली बागियों की रैली..*
अविश्वास प्रस्ताव नहीं ला पाने के बाद सोशल मीडिया पर बगीचा सरकार के बागी पार्षदों की काफी फ़जीहत हुई। जनता ने इन पार्षदों को आड़े हाथों लिया एवं खूब खरी खोटी कह सुनाई। नतीजा यह निकला कि कुछ पार्षदों में क्षुब्ध होकर सोशल मीडिया पर भी अपने इस्तीफ़े देने की बात कह डाली । और जब 4 पार्षदों की पोस्ट वायरल हुई तो पूरे 18 के 18 पार्षदों ने भी अपने-अपने इस्तीफ़े देने की बात सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से कह डाली इसी क्रम के चलते गुरुवार को दोपहर 4:00 बजे कलेक्ट्रेट में जाकर इन्होंने अपने स्थिति दे दिए।
*आज का दिन तय हुआ था कलेक्टर के इस्तीफे मंजूर और नामंजूरी का..*
यहां आपको बताना उचित होगा कि पिछले गुरुवार को दिए गए सामूहिक इस्तीफे पर निर्णय को लेकर आज यानि बुधवार 5 सितंबर की तारीख तय की गई थी जिनको खुद कलेक्टर ने स्वीकारा था। बाद में आज जब इस्तीफ़े पर निर्णय की बारी आई तो कलेक्टर शिवपुरी ने यह कह दिया कि आपके इस्तीफ़े नियम विरुद्ध हैं नियम में रहकर इस्तीफ़े दिए जाते तो इस पर विचार किया जा सकता था इस वक्तव्य के बाद पार्षद फिर वहीं खड़े हुए नजर आ रहे हैं जहां से वह चले थे। वहीं इस मामले को लेकर सोशल मीडिया पर लोग अपने-अपने मत प्रस्तुत कर रहे हैं जिसमें कुछ लोग कह रहे हैं कि कलेक्टर दबाव के चलते इस्तीफा लेने में सक्षम नहीं है वहीं कुछ लोगों का कहना है कि पार्षदों को हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाना चाहिए इस्तीफ़े जरूर मंजूर होंगे।
एक पार्षद तो यह भी कह रहे हैं कि मैं कभी अपने बच्चों को कलेक्टर बनने की बात नहीं कहूंगा। सोशल मीडिया की स्थिति बता रही है कि पार्षदों के इस खेल में अब जनता को भी मजा आ रहा है।
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