चोर चोरी में मस्त पुलिस गश्त में व्यस्त.. जनता भी हो गई है पस्त.. महाराज आप ही करो कुछ जबरदस्त..
जिले में चोरों का बढ़ता आतंक फिजिकल थाना क्षेत्र में फिर हुई चोरी की वारदात..
।।चर्चित समाचार एजेंसी।।
।।शिवपुरी 07/09/25।। शिवपुरी जिले में आए दिन हो रही एक नई घटना से आम जनता रूबरू हो रही है कहीं चोरी तो कहीं गोलीबारी की घटना सरेराह कारित हो रही है हाल ही में फिजिकल थाना क्षेत्र अंतर्गत नरेंद्र नगर में चोरों ने दो परिवार को निशाना बनाया जिसमें दोनों ही परिवार के लोगों को बेहोशी की दवा छिड़ककर बेहोश किया गया फिर इत्मीनान से चोरी की गई। चोरी की रकम का आकलन बकौल पीड़ित माने तो यह दोनों ही घरों में 15 से 20 लाख (नगदी और आभूषण) के हेर फेर में है।
सूत्रों की माने तो नरेंद्र नगर में रहने वाले विपिन राठौर के घर में लगभग 15 से 17 लाख की चोरी का आंकलन है वहीं पास ही में रहने वाले नीरू तोमर के घर चोरों ने तीन से चार लाख का माल उड़ाया है। सवाल यह है कि पुलिस इतनी बड़ी गश्त के बाद भी चोर आखिर चोरी करते कैसे हैं..?? खबर लिखे जाने तक पुलिस मौके पर खाना तलाशी कर एफ आई आर लिखने की बात कह रही है। पर क्या एफ आई आर लिखी जाएगी..?? यह भी बड़ा सवाल है।
गरीब के घर हुई चोरी 23 दिन गुजरे नहीं लिखी एफ आई आर।
यहां बताना लाजिमी होगा कि फिजिकल थाना क्षेत्र अंतर्गत साइंस कॉलेज के सामने प्रोफेसर कॉलोनी में एक गरीब परिवार किराए से रहता है जो साइंस कॉलेज में चपरासी का काम करते हुए अपने घर का पालन पोषण कर रहा है बड़ी मेहनत करके उसकी पत्नी ने कुछ पैसे छोटे-मोटे आभूषण एवं गृहस्थी का सामान जोड़ा था जन्माष्टमी की रात जब परिजन अपने रिश्तेदारों के घर ग्वालियर मिलने गए तब चोरों ने सूने घर पर धावा बोल दिया और सोना नगदी सहित गृहस्थी का समान ले उड़े,साथ ही घर में रखें जरूरी डॉक्यूमेंट भी नहीं छोड़े, यहां तक की फ्रिज में रखा हुआ खाने का सामान भी ले गए। महिला ने रोते हुए हमसे मदद की गुहार लगाई।
सवाल चोर को पकड़ने का नहीं सवाल नैतिक कर्तव्ययों का..
यहां सवाल चोर को पकड़ने का बाद में आता है सबसे पहले यहकि, फिजिकल थाना पुलिस को उस परिवार के द्वारा दी जाने वाली एफआईआर दर्ज करनी चाहिए। जिसे फिजिकल पुलिस ने कच्चे कागज पर पंचनामा बनाकर रफा दफा कर दिया। इस पंचनामा को लेकर के प्रतिदिन वह गरीब परिवार फिजिकल थाने पर हाजिरी देता है, कि शायद चोर पकड़ा जाए..!! लेकिन चोर पकड़ा जाना तो छोड़िए अभी एफआईआर तक दर्ज़ नहीं की जा गई है पुलिस सिर्फ यह कहकर पीड़ित परिवार को थाने से चलता कर देती है कि, हम जांच कर रहे हैं, चोर पकड़ा जाएगा। सच तो यह है कि पीड़ित परिवार ने चोरों की निशान देही भी उजागर की है पर शायद पुलिस और चोर के गठजोड़ में निशान देही भी संदेहास्पद मानी जा रही है।
60 दिन गुजरे अभी तक नहीं हो पाया गोलीकांड का खुलासा..
अभी आपको मालूम हो कि फिजिकल थाना क्षेत्र अंतर्गत महिला बाल विकास के बड़े बाबू गजाधर प्रसाद खरे के घर पर कुछ लोगों ने फायरिंग की जिसमें वह बाल बाल बच गए थे। उसके बाद काफी प्रेशर के चलते एफ आई आर तो दर्ज हुई पर इस सब के बावजूद भी पुलिस किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाई। ना ही तो गोली चलाने वाले अपराधी पकड़े गए हैं और ना ही उनसे जुड़े कोई सबूत पुलिस इकट्ठे कर पाई है। यहां तक की सीसीटीएन का दंभ भरने वाली पुलिस भी अब अपनी ही फूटी आंख से परेशान नजर आ रही है। आम लोगों का तो यह तक कहना है कि जब-जब चोरी या इससे भी अधिक गंभीर अपराध होते हैं तब- तब पुलिस वालों के सीसीटीवी कैमरे वारदात क्षेत्र के खराब मिलते हैं। अब जनता यह पूछ रही है कि आखिर वारदात क्षेत्र के सीसीटीवी कैमरे ही खराब क्यों रहते हैं..??क्या चोरों को पहले से मालूम होता है..?? या बाद में यह कैमरे खराब कर दिए जाते हैं..??
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