बच्चों को बिस्कुट पकड़ाकर ख़ुद ने काजू भसक के खाए, देखो-देखो भूखे भट्टे जैन साहब की टीम में आए..
बच्चों को बिस्कुट पकड़ाकर ख़ुद ने काजू भसक के खाए, देखो देखो भूखे भट्टे जैन साहब की टीम में आए..
।।चर्चित समाचार एजेंसी।।
मामला बड़ा ही रोचक है आपको पढ़ने में मजा आएगा और मुझे लिखने में मजा आया,दरअसल यह मामला जुड़ा है सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के शिवपुरी आगमन के दौरान कन्या महाविद्यालय में "एक पेड़ मां के नाम अभियान की बृहत शुरुआत के तौर पर सिंधिया जी के द्वारा अपनी कैलाश वासी माता माधवीराजे सिंधिया के नाम एक पेड़ लगाकर वहां एक वृक्ष वाटिका का लोकार्पण करने का, सब कुछ सही चल रहा था लोग बेसब्री से इंतजार कर रहे थे,कॉलेज की पूरी टीम, जिसमें कॉलेज के प्राध्यापक ही नहीं बल्कि जन भागीदारी समिति के अध्यक्ष सहित सभी सदस्य, गर्ल्स एनसीसी कैडेट कोर की बच्चियां सहित कॉलेज में पढ़ने वाली छात्राएं भी स्वागत सत्कार के लिए मौजूद थीं। बैंड बाजे के साथ सिंधिया जी का स्वागत किया गया लोगों ने जय जयकार के नारे भी लगाए छात्राएं सहित महिला नेता एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी सिंधिया के स्वागत में बढ़-चढ़कर हिस्सेदारी की, पर मिला क्या..??
कुछ फोटो एक कप चाय और दो बिस्कुट..!!
जबकि बच्चियां सहित महिलाएं पिछले 4 घंटे से कॉलेज प्रांगण में उमस वाली गर्मी में सिंधिया जी के आने का राह देखती रहीं और उनकी परेशानियों को देखने वाला कॉलेज प्रबंधन अपनी वाह वाही के लिए सिंधिया के करीबी नेताओं में ख़ुद अपनी जुगाड़ फिट करता रहा।
*उफ गर्मी..हाय गर्मी.. गर्मी तुझमें जरा न नर्मी..*
12 सितंबर को आसमान बादलों से ढका हुआ था, पानी बरसने की उम्मीद तो थी पर पिछले कई दिनों से बारिश न हो पाने के कारण जमीन आग उगल रही थी हवा बंद थी और कॉलेज के पीछे बनी वृक्ष वाटिका के आसपास के क्षेत्र में भयंकर उमस थी। कई महिलाएं तो ऐसी थीं जो एसी से कभी बाहर ही नहीं निकलती थीं पर क्या किया जाए..!! महाराज का स्वागत जो करना था, तो अब कुछ कह भी नहीं सकती थीं और इस उमस भरी गर्मी को सह भी नहीं सकती थीं हालात इतने बदतर थे कि कई महिलाओं ने तो बार-बार अपनी कुर्सी छोड़कर आसपास टहलकर पसीने वाली सड़ी गर्मी से राहत पाने की कोशिश कर रखी थी। पर क्या करें..?? महाराज अभी आने को है, वहां का कार्यक्रम निपट गया, अभी निकल दिए, वह रास्ते में हैं,बार-बार यह सुनकर धैर्य बांध रही थीं, पर इस ओर कॉलेज प्रबंधन का कोई ध्यान ही नहीं था।
*माथे पर था पसीना आया, लाख का चूड़ा भी पिघलाया, ऐसी सड़ी गर्मी में तूने एक कूलर भी न लगवाया..*
महिलाओं के माथे से पसीना बह रहा था जिसे पोंछने के लिए कुछ रुमाल का उपयोग करती नजर आईं तो वहीं कुछ महिलाएं तो साड़ी के पल्लू से ही पसीने को पोंछती नजर आईं। एक महिला जो भाजपा संगठन के किसी कार्यकारिणी में महामंत्री पद पर है उनकी स्थिति तो यह थी कि वह जब सिंधिया जी से मिलने के लिए धूप में खड़ी थीं तो उनके हाथ में लाख से बना चूड़ा धूप से पूरी तरह पिघलकर हाथ से बाहर ही निकल आया, महिलाएं यह कहती मिली कि इतने बड़े कार्यक्रम में दो-तीन कलर तो लगवा ही सकते थे पर शायद इसका खर्चा इन्हें नागबार था इसीलिए यह व्यवस्था नहीं की गई।
*महाराज के लिए काजू किशमिश और पिस्ता.. कार्यकर्ता के लिए चाय के साथ बिस्कुट की व्यवस्था..*
यह भी खास बात यह थी कि सिंधिया जी के लिए तो कॉलेज प्रबंधन ने काजू किशमिश और पिस्ता की व्यवस्था की थी जिसे वहां पर बनी मंच पर कुछ बालिकाएं अपने हाथ में प्लेट लेकर खड़ी थीं, और आम कार्यकर्ता के लिए चाय और बिस्कुट की व्यवस्था की थी यहां तक तो ठीक था पर जैसे ही महाराज अपना काम करके वहां से निकले पलक नहीं झपका कि जैन साहब की टीम के कुछ भूखे-भट्टे कॉलेज के होनहार प्राध्यापक और स्टाफ ने दोनों हाथों की मुट्ठी भर-भर के काजू किशमिश पिस्ते न सिर्फ हाथों में बल्कि जेबों में भी भर लिए और दनादन भषकते हुए नजर आए। वही आम कार्यकर्ता और महाराज के लिए जी जान लगाने वाली महिलाएं चाय और बिस्कुट से अपने आप को संतुष्टि देती नजर आईं।
तथा ncc कैडेट और कॉलेज की छात्राओं को मिला...??
ठेंगा...👍👍🤣🤣
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