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पंकज का कमाल बकालत की पारी खेल रहे बेमिसाल,वादी को न्याय दिलाने डटे, और न्याय दिलाकर ही हटे..

पंकज का कमाल बकालत की पारी खेल रहे बेमिसाल,वादी को न्याय दिलाने डटे, और न्याय दिलाकर ही हटे..

पंकज का कमाल बकालत की पारी खेल रहे बेमिसाल,वादी को न्याय दिलाने डटे, और न्याय दिलाकर ही हटे..
।।चर्चित समाचार एजेंसी।।
।। शिवपुरी 26/08/25।। वरिष्ठ अधिवक्ता पंकज आहूजा आज किसी नाम की मोहताज नहीं है आए दिन वह किसी न किसी पेचीदा केस को हाथ में लेकर न्यायालय में कुछ इस तरह लड़ते हैं जैसे वह अपने पर्सनल केस को हैंडल कर रहे हों।
कुछ दिनों पूर्व भी पंकज आहूजा के दो केस सुर्खियों में रहे थे एक केस में दहेज के झूठे केस में आरोपियों को निर्दोष साबित कराकर केस खारिज कराया, तो वहीं दूसरे केस में एक पुरुष (वादी) को अपनी पत्नी जिसने मासिक भत्ते के लिए कोर्ट में मामला पेश किया उस मामले में भत्ते से मुक्त कराकर वादी को न्याय दिलाया।
 ऐसे ही एक पेचीदा केस में वरिष्ठ अधिवक्ता पंकज आहूजा ने वादी को न्यायालय से न सिर्फ न्याय दिलवाया बल्कि व्यास सहित राशि को वापस करने के लिए नगर पालिका शिवपुरी के खिलाफ आदेश में पारित कराया दरअसल हुआ यूं कि
दरअसल नगर पालिका शिवपुरी ने जुलाई 2019 को जाम पोर्टल के माध्यम से निविदा आमंत्रित की जिसमें 6 कंपनियों ने हिस्सा लिया, नियमों के दृष्टिगत तीन कंपनियां बाहर हो गई तथा तीन की निविदाएं स्वीकार की गईं उनमें से एक निविदा मदन बायोग्रीन प्राइवेट लिमिटेड ने भी  डाली जिसकी बोली जिसकी बोली सभी फर्मों से अत्यधिक कम थी यानी कि नगर पालिका शिवपुरी ने जैम के माध्यम से 500 ट्री गार्ड के लिए जो निविदा मैसर्स मदन बायोग्रीन प्राइवेट लिमिटेड ने  डाली वह प्रति ट्री गार्ड 2890/- की थी। प्यार करते हुए 25 नवंबर 2019 को स्टोर में सप्लाई ले ली गई। इन 500 ट्री गार्ड की कीमत 2890 रुपए प्रति ट्रिगर्ड के हिसाब से 14 लाख 45 हजार रुपए बनी जो नगर पालिका शिवपुरी ने स्वीकारी, बाद में कुल राशि का 50% हिस्सा काटकर 6 लाख 93 हजार राशि भुगतान करना तय किया गया जिसमें आईटी के रूप में 14450 एवम जीएसटी के रूप में 14450 कुल 14900 काटकर 6 लाख 93000 का भुगतान करना बताया गया जब बैंक स्टेटमेंट देख तो पता चला की फर्म को केवल 6 लाख 27 हजार प्राप्त हुए है 50% भुगतान में भी 66000 अतिरिक्त रोक लिए गए। जिसका भुगतान नहीं हुआ, फर्म के मालिक ने जब नगर पालिका की जिम्मेदारों से यह पूछा  तो उनका कहना था कि आपके द्वारा जो मटेरियल नगर पालिका को दिया किया गया है उसके वजन में अंतर है यानि कि झूठ रिकॉर्ड 15 किलो का होना था वह सिर्फ 12 किलो का ही है अतः आपको पूरा भुगतान नहीं दिया जाएगा। इसके बाद मदन बायो ग्रीन के नोटिस नगर पालिका शिवपुरी को दिया जिसमें उन्होंने 722500 प्लस 66600 पूर्व की कटौती दोनों को जोड़कर 789100 अपने बकाया भुगतान की बात कहते हुए दो माह का समय दिया।
यहां बताना उचित होगा कि नगर पालिका शिवपुरी के जिम्मेदार सीएमओ और अध्यक्ष सहित सभी कर्मचारी सिर्फ भारी कमीशन की जुगाड़ में किसी भी फ़र्म को तब तक परेशान करे वगैर नहीं मानते जब तक उनका मनमाफिक हिस्सा नहीं मिल जाता वह ठेकेदार को टालते ही रहते हैं। जिस पर ठेकेदारों को या तो उनकी इच्छा अनुसार कंप्रोमाइज करना पड़ता है या फिर कोर्ट का सहारा लेना पड़ता है। परंतु जब दर्शाई गए मूल्य से भी कम में सप्लाई हो तो ठेकेदार को वाजिब कमीशन के अलावा एक्स्ट्रा खर्च उठाना काफी कष्टकारी होता है, यह मामला भी उसी की एक नजीर है। जब समझ आया कि फर्म का डायरेक्टर हमारी इच्छाओं की पूर्ति नहीं कर सकता तो मामले को नगर पालिका ने न्यायालय में प्रतिवाद के रूप में पेश कर दिया जिसमें नगर पालिका के वकील ने अपनी तमाम दलीलें  पेश की लेकिन वरिष्ठ अधिवक्ता पंकज आहूजा के समक्ष टिक नहीं पाए, अंततः प्रधान न्यायाधीश राजेंद्र प्रसाद सोनी ने इस अपील को खारिज कर दिया।
कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि युवा अधिवक्ता पंकज आहूजा अपने कार्यों के प्रति काफी सजग और संवेदनशील हैं उनके द्वारा पूर्व के प्रकरण में जीत भी इस बात की नजीर हैं।

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